विश्व पुस्तक मेला : संविधान और संवैधानिक मूल्यों पर किताबें
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साल 1999 में पटना के पुस्तक मेले में एकलव्य का स्वयंसेवक बनकर गया था। पहली
बार रेल की लंबी यात्रा की थी। पहली बार किसी इतने बड़े पुस्तक मेले में जाना
हुआ...
ब्लॉगर्स चौपाल 2
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जुबान (कुंडलिया छंद) - निकले वापस फेर ना, आवय तोर जुबान। जइसे निकले तीर ले, आवय नहीं कमान।। आवय नहीं कमान, बात ला छेड़व गुनके। शारद दे आशीष, शब्द ला रखलव चुनके।। कहे हेम कविर...
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तीर्थ यात्रा - दरस-परस बर हम आयेंन, मन के मनौती ल पायेंन सिहोर के दरस पायेंन, कुबरेश्वर के सरस पायेंन । कंकर-कंकर शिव के आशीष संग लायेंन ।। नलखेड़ा के परस कर आयेंन, ...
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"दास्ताँ" - * “दास्ताँ”* *“मै खुद में अपनी इक पूरी दास्ताँ हूँ* *थोड़ा सा पूरा और कुछ अधूरा सा अरमाँ हूँ* *अपनी ग़ैरत के शीशे लिए फिरता हूँ* *पत्थरों के शहरों ...
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कविता: युद्ध करता है अनथक मेहनत - देखो, सचमुच कितना भव्य है युद्ध! कितना तत्पर और कितना कुशल! अलस्सुबह वह साइरनों को जगाता है और एंबुलेंस भेज देता है दूर-दराज़ तक, हवा में उछाल ...
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फिर कोई - फिर कहीं एक ख्वाब ने आवाज़ दी है फिर कोई चेहरा उकर के आया है। फिर कहीं खोया सा रहता हूँ किसी में फिर कोई आवाज देने आया है। फिर कहीं ग़ुम है मेरे दिल की धड...
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तलाश एक रास्ते की - कुछ दूर चला मैं रास्ता अनजाना था लोग भी नए मौसम भी कुछ नया सा नए दरख़्त नई छांव नई इमारतें नए गांव रास्ता था मुझे चलना था रास्ते पर आगे बढ़ना था तो...
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मेरे किरदार को तू भी पहन के देख जरा - हम दरिया हैं तूफ़ान से हरदम हैं रहगुजर बिखर जाते हैं हवा में देवदार की तरह। कहां किसी का छूटता है अपनों से वास्ता गोया चला था साथ वो दिलदार की तरह। किस्मत...
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हाशिये के आदमी पर कविता - हाशिये के आदमी पर कविता कविता चौराहे पर देखी कविता सड़क पर देखी कविता मंच पर देखी कविता के नाम पर कवि को चुटकुले सुनाते भी देखा कविता हाशिये पर देखी ...
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Farmer politics - Yogesh Mishra September 21, 2017 Indian farmers barely get timely compensation against their damaged crops due to drought or flood. And its happening for...
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Walk in Interview at GGU Bilaspur: Asst Professor on Temporary Basis ; June 2017 - Eligible and interested candidates are invited for Walk-in-Interview at the Administrative Building of the University for *Appointment as Assistant ...
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गीत चतुर्वेदी के नए संग्रह से कुछ कविताएँ - इस साल पुस्तक मेले में एक बहु प्रतीक्षित कविता संग्रह भी आया. गीत चतुर्वेदी का संग्रह 'न्यूनतम मैं'. गीत समकालीन कविता के ऐसे कवियों में हैं जिनकी हर काव...
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Social Stigma - accountability to be defined - Upper House of the Indian parliament- Rajya Sabha, passed the juvenile bill without any amendments very late. It went to the President for the signature...
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Fear - *"Fear not those who argue,* *but those who dodge."* *"उनसे मत डरिये जो बहस करते हैं,* * बल्कि उनसे दरिये जो छल करते हैं."* *Dale Carnegie डेल कार्नेगी*
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ऑनलाइन ईमान - आज का यह नया दौर है सामान ऑनलाइन बेचने की होड़ है सोचता हूँ अगर ऑनलाइन बिकने लगे ईमान तो कैसे कैसे रहेंगे दाम बाबु तो रखेंगे पांच सौ से हज़ार अफसरों के होंगे ...
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13 - समझो इशारे - हमारी हॉटेलनुमा लाज शुरू हो गई लेकिन किसी प्रकार घिसट रही थी। प्राप्त आय से बिजली का बिल और स्टाफ का वेतन निकाल जाता तो मन प्रसन्न हो जाता। कोई...
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बालिका सुरक्षा का संकल्प ! - जब देवों के राजा कहे जाने वाले इंद्र ने गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या के साथ बलात्कार किया था तब भी यह समाज चुप था। शिला सी बन जाने की सज़ा अहिल्या को ही मिली...
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हेलमेट अनिवार्यता – सुरक्षा या वसूली... - कल सुबह सुबह दुकान के लिए घर से निकलते ही थोड़ी दूर जाने के बाद पुलिस ने मुझे पकड़ लिया... और कहा.. चालान बना इसका... मैंने पुलिस वाले से ये पूछा.. के सर.. ...
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मोदी क्यों जरुरी? - *मोदी क्यों जरुरी?* चुनाव की घोषणा हो चुकी है। आरोप-प्रत्यारोप का दौर सुरु हो चूका है। हर राजनेता अपने आप को पाक-साफ और दूसरों को अपराधी सिद्ध करने...
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वो कमरा याद आता है - मैं जब भी ज़िन्दगी की चिलचिलाती धूप में तपकर मै जब भी दुसरों के और खुद के झूठ से थककर मैं सबसे लड़ के खुद से हार के जब भी उस इक कमरे में जाता था वो हलके ...
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डेयरी और खेती में उषा ने लिखी कामयाबी की नई इबारत - घर-परिवार तक सीमित रहने वाली उषा ने जब दो गायों के साथ दूध बेचने का व्यवसाय शुरू किया तब उसने सोचा भी नहीं था कि एक दिन उसके डेयरी फॉर्म से साढ़े तीन सौ ...
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दक्षिणापथ 15- 30 april 2013 - *विकास की डगर, परिवर्तन की तैयारी* *-चुनावी यात्रा का दौर शुरू*- *दक्षिणापथ डेस्क * परिवर्तन और विकास, दो अलग-अलग ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर राज्य के मतदाताओं ...
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आशा ... - रोशनी के द्वार ही सुहाने होते है चौखट पे इसके, दूरियां कम हो जाती है अंधकार असमंजस है लक्ष्य की राह भी इसमें खो जाती है… क्षण क्षण गलना मोम की तरह विश्वासघात...
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शमशान के वो 60 मीनीट - मै आज भी उस दीन को याद करता हु जब एक व्यक्ती ने आ के बताया की बीरजु गुजर गया , उस समय मुझे एसा लगा जैसे इस दुनीया मे कई लोग पैदा हुए और फीर मर गये उसी त...
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कारगिल विजय :: भारतीय सेना के अदम्य साहस, संकल्प और दृढ़ इच्छाशक्ति का प्रतीक - *26 जुलाई - कारगिल विजय की 13 वीं वर्षगांठ पर विशेष* कारगिल युद्ध आजाद भारत के इतिहास में छद्म वेश में लड़ा जाने वाला पहला सीमाई युद्ध था साथ ही यह एक ...
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समय - नहीं रुका है, नहीं रुकेगा, सबको रोक बढ़ते रहा है द्रोण, भीष्म, सिकंदर आया सबको छोड़ अजेय रहा है. सूर्य चन्द्र हो या तारे उदय-अस्त के ये मारे, इसके आगे नभ है ...
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जन संघर्ष और राजनीतिक पेंच - प्रभाकर चौबे - *तीन* जून को बाबा रामदेव ने काले धन और भ्रष्टाचार के खिलाफ एक दिन का अनशन किया। इस बार बाबा रामदेव की जितनी अनदेखी हुई उतनी पहले नहीं हुई थी- जितना प्रचार ...
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ये पोस्ट सवाल भी है और समस्या भी. (सुधीर तंबोली “आज़ाद”) - *"हम किस डगर जा रहे है.."आन्दोलन अपनी जगह है.,धंधा अपनी जगह..नया वित्तीय वर्ष शुरू हो गया.,शराब का ठेका नए - पुराने हाथो में ...
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केंद्रीय विद्यालय मे एडमिशन - *मित्रो आज सुबह सुबह जब मैं अपनी खटिया से उतर कर गरम चाय की अभिलाशा को मन मे लिए कमरे से बाहर निकाला तो हमारे आदरणीय तिवारी चाचा पहले ही मेरे घर पर गरम ...
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यमराज की दृष्टि - एक बार यमराज की इच्छा हुई की पवित्र नगरी काशी के दर्शन किये जाये। वे चित्रगुप्त के साथ काशी पहुचे। काशी के राजा ने सपरिवार उनकी सेवा सत्कार की। उन्हें अपने...
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रेतघड़ी - दिन बुरे नहीं थे जब पानी और सूरज घरो की छ्प्परें लाँघ जाते थे, जब हवा भी बिन पूछे दरवाजा धेलकर अंदर आ जाती थी, जब दिन की शुरूवात पंछियों के चहचाहट और राते...
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मेरी एक कविता"शहर गाथा -दो " - * शहर गाथा -दो* शहर बेहद व्यस्त इस बार रात की पकड़ से फिर गायब हो गया मेरी थकान पर टिप्पणी किये बिना मैं रेलवे कुली के हाथ का उ...
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चोरों का सरदार - वो ज़माना और था , जब बह जाती थी गन्दगी बरसात के साथ , अब बरसात दबी गन्दगी को बिखेर देती है , हमारे आपके सामने आसपास , गन्दगी तुम में और मुझमें हो न हो , हम ...
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